हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,पाकिस्तान के इस्लामाबाद की लाल मस्जिद में ऑपरेशन के दौरान फौजी और छात्र आमने-सामने आ गए पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई इस मौके पर एक पुलिस वाले की मौत हो गई।
इस्लामाबाद की लाल मस्जिद में पढ़ रहे छात्रों ने पास के एक दफ़्तर पर हमला कर दिया उस दौरान उनकी वहाँ तैनात पुलिसवालों से झड़प हुई।
पुलिस ने छात्रों को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़े लाल मस्जिद में घिरे हुए छात्रों ने इसका जवाब ऑटोमैटिक हथियारों से गोलीबारी करके दिया. इसमें एक गोली लांस नायक मुबारिक हुसैन को लगी और उनकी मौत हो गई।
लाल मस्जिद साल 1965 में तैयार हुई थी. कुछ लोगों का मानना है कि इसका नाम लाल मस्जिद इसलिए रखा गया क्योंकि इसकी दीवारें लाल रंग से रंगी हुई हैं लेकिन कुछ दूसरे लोगों का मानना है कि इसका नाम सम्मानित सिंधी सूफ़ी संत लाल शहबाज़ क़लंदर के नाम पर रखा गया था.
शुरुआत से ही ये मस्जिद कराची के कट्टरपंथी धार्मिक विचारक जामिया बिनोरिया के कार्यकलापों का केंद्र रही हैं।
इसको पाकिस्तान की ‘जिहाद फ़ैक्ट्री’ का भी नाम दिया गया क्योंकि कई कट्टरपंथी नेता जैसे जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अज़हर और पाकिस्तान तालिबान के कमांडर अब्दुल्लाह महसूद यहीं से था।